Monday, May 24, 2010

मेरी जिनी

बचपन से मैं सोचता रहा हूं (मतलब जबसे मैंने अपने बारे में सोचना शुरू किया होगा) कि क्या मैं सुंदर हूं (शायद सभी खुद से ये पूछते हों).... लेकिन कभी भी मैं खुद को भी आत्मविश्वास से, शीशे में देखकर, ये नहीं कह पाया कि-- हां तू खूबसूरत है.... हमेशा वही कमज़ोर सा, टाइमपास, जवाब निकलता रहा... ठीक तो हूं, उतना भी खराब नहीं हूं..... लेकिन अब.... अब शायद स्थिति कुछ बदल रही है.... लोग कहते हैं (मतलब मेरी दीदियां और भी कुछ लोग) कि मेरी बेटी की शक्ल मुझसे मिलती है..... तो उसे देखकर मैं सोचता हूं कि अगर मैं ऐसा रहा होउंगा तो यकीनन मैं प्यारा रहा होउंगा.....