Wednesday, November 12, 2008

ओबामा और माया

मायावती और ओबामा की तुलना करने पर कई लोगों को ऐतराज़ है। ओबामा की पढ़ाई-लिखाई, सलीका और राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की तैयारी के मुकाबले मायावती नहीं ठहरतीं... लेकिन चमत्कार करने की क्षमता मायावती में भी है....

हाल ही में मायावती ने एक बहुत मज़ेदार बयान दिया था... जिस पर हमारे कई मित्रों ने सवाल उठाया था कि कोई भी नेता सार्वजनिक रूप से इतना बेवकूफ़ाना बयान दे कैसे सकता है.... वो बयान था- कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी जब किसी दलित की झोपड़ी में ठहरता है तो अगले दिन उसे एक विशेष साबुन से नहलाया जाता है। -- सचमुच ऐसा बयान सिर्फ़ मायावती ही दे सकती हैं... लेकिन आप-हम इसे चाहे कितना ही बेवकूफ़ाना मानें लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि मायावती के वोटर उनकी बात पर यकीन करते हैं।
क्यों करते हैं इसके लिए आपको मैं ओबामा की बात सुनाना चाहूंगा...

ओबामा ने अपनी आत्मकथा 'ऑडैसटी ऑफ होप' में कहा है कि उनसे मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जूनियर ने साबुन से हाथ धोए थे--- उन्हीं के सामने। आत्मकथा के अनुसार चार साल पहले वह (ओबामा) अन्य नवनिर्वाचित सीनेटरों के साथ राष्ट्रपति बुश से नाश्ते पर मिलने के लिए गए थे। बुश ओबामा को अलग ले गए और अपनी पत्नी लौरा से मिलवाया। उन्होंने लौरा से कहा, 'तुम्हें याद है ओबामा, इन्हें हमने टीवी पर देखा था। बहुत अच्छा परिवार। और आपकी पत्नी - प्यारी महिला हैं।' इसके बाद बुश और ओबामा ने हाथ मिलाए। ओबामा के मुताबिक इसके बाद बुश तुरंत अपने एक सहायक की तरफ मुड़े़ जिसने उनके दाहिने हाथ पर सैनिटाइजर डाला। बुश ने ओबामा से कहा, 'हाइजीन का ख्याल रखते हुए मैंने सैनिटाइजर डाला।'

ख़बर अभी (ये पोस्ट 11 तारीख को ही लिख ली थी- तकनीकि दिक्कत की वजह से आज पोस्ट कर रहा हूं)आई है और इस पर बुश की प्रतिक्रिया नहीं मिली है। अब अगर बुश इस बात का खंडन करते हैं और जितनी चाहे ज़ोर से करें अमेरिका और पूरी दुनिया के ब्लैक लोग ओबामा की बात पर यकीन करेंगे। वो भी करेंगे जिन्होंने रंगभेद को देखा है- झेला है और किया है।

अब शायद मायावती और ओबामा में संबंध साफ़ होने लगे।

10 comments:

महुवा said...

ओबामा औऱ मायावती में अगर समानताएं हैं तो बहुत असमानताएं भीं है....सबसे बढ़ी ये कि ओबामा माया के उलट सभ्य,सुशिक्षित और संयमित व्यवहार और विचारधारा के हैं...जबकि माया का बेलाग और बेबाक होना किसी से छुपा नहीं...शायद ये एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से ओबामा सबसे दबे कुचले समाज से निकलकर आज दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान बन पाएं हैं......

महेन said...

दोनो में एक ही अंतर होगा शायद: मायावती सोफ़िस्टिकेटिड नहीं है।

राजन said...

ओबामा के सभ्य और मायावती के भदेस होने के अतिरिक्त अंतर एक और भी है और वह भी खासा बड़ा - वह है मंशा. जहाँ ओबामा की मंशा बदलाव लाने की है - चाहे वो अमेरिकियों की सोच में हो या उनकी अप्रोच में, वहीँ मायावती दलित होने का ढोल पीटकर सिर्फ अपना स्वार्थ साधती है. अब चाहे वो करोडों रूपये आंबेडकर उद्यान के नाम पर बर्बाद करना हो या तगडे कमीशन के चलते ताज की ऐसी-तैसी करना या फिर अपने तमाम कुनबे के नाम ना गिने जा सकने वाली चल-अचल सम्पति इकट्ठा करना. मायावती को अगर दलितों की इतनी ही सुध होती तो आज यह तबका अपनी प्यारी बहनजी के राज में जाने कितना आगे बढ गया होता. स्वार्थों की राजनीती करने वाली भदेस मायावती की तुलना करिश्माई व्यक्तित्व के धनी ओबामा से करना उचित नहीं.

वर्षा said...

पैसों का महल तो इस देश का हर शख्स (नेता सबसे आगे) खड़ा करना चाहता है और कर रहा है। दलित नेता मायावती ही नहीं, वामपंथी और संघियों ने भी बहुत पैसे बनाए हैं।
मायावती में कुछ बात तो है वरना इतने बांगड़बिल्लों के बीच वो अपनी जगह न बना पाती।

Ek ziddi dhun said...

विस्तार में जाने का वक़्त नहीं, पर मेरा अपना ख्याल ये है कि मायावती कहीं ज्यादा बड़ी नेता और चमत्कारी भी हैं ओबामा के मुकाबले...हालाँकि मैं उन्हें वोट दे चुकने के बावजूद उनसे सहमत नहीं हूँ

sushilnayal said...

काफी दिनों से नया कुछ पड़ने को नही मिला, लगता हैं तू लम्बी नींद में चला गया हैं, हो सकता हैं सर्दिया पड़ते ही तू लम्बी नीद में चला जाता हैं.

आवारागर्द said...

यानी एक साबुन आदमी को दलित बना देता है...

पलाश said...

भारत में अगर आप ओबामा से किसी की तुलना कर सकते हैं तो वो बी आर अंबेडकर हैं...अभाव और अपमान की पीड़ा को डॉक्टर अंबेडकर और ओबामा ने जिस तरह से रचनात्मक ऊर्जा में बदला और इसे अपनी ताकत बनाते हुए श्रेष्ठ साबित हुए, इतिहास में कम उदाहरण देखने को मिलते हैं...ओबामा से मायावती की तुलना ठीक नहीं है...मायावती ब्राह्मणवाद से लड़ते-लड़ते खुद ही ब्राह्मण बन गई....संघर्ष से समझदारी और परिपक्वता कैसे आती है ओबामा सिखाते हैं...ओबामा ने शिकागो भाषण में मैक्केन को जिस तरह से सलाम किया (सियासी प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ संयम के मामले में) माया ओबामा के आगे बहुत बौनी साबित होती हैं....संघर्ष मायावती ने भी किया लेकिन, उन्हें इस प्रक्रिया ने परिपक्व नहीं, बल्कि दंभी और बदज़ुबान बना दिया। माफ करना "बारीश" 'सभी नेता पैसे बनाते हैं इसलिए मायावती भी पैसे बनाएंगी' तो वे मायावती ही बनेंगी, ओबामा और अंबेडकर नहीं।

Fighter Jet said...

kahan raaj bhoj kahan gangu teli...whai hai Obama aur Mayawati!

Bus itna hi antar hai banki sub saman :)

dheeraj said...

there is one more similarity between obama and mayawati.election symbol of both is elephant