स्पीड ब्रेकर यानि कि रफ़्तार को कम करने के लिए बनाया गया उपकरण.
सामान्यतः सड़कों पर स्पीड ब्रेकर ही प्रकार के होते हैं, सड़कें चाहे कई प्रकार की होती हों. सड़क पर एक छोटी सी बाधा (ढलान के साथ) खड़ी की जाती है जिससे वाहन आराम से तो गुज़र पाएं लेकिन रफ़्तार से गुज़रने पर उछलने का ख़तरा हो.
लेकिन अपने देश में स्पीड ब्रेकर दो प्रकार के होते हैं.
एक तो वह जो सड़क पर ऊपर की ओर उठा होता है और दूसरा वह जो सड़क के नीचे की ओर घुसा होता है.
दूसरे प्रकार के स्पीड ब्रेकर को गड्ढा भी कहते हैं.
दोनों प्रकार के स्पीड ब्रेकर अपने यहां बहुतायत में पाए जाते हैं.
लेकिन इन्हें सिर्फ़ स्पीड ब्रेकर कहना भी उचित नहीं है. यह ब्रेकर हैं जो कई तरह की चीज़ें ब्रेक कर सकते हैं- पहली चीज़ तो स्पीड ही है. दूसरी चीज़ आपकी गाड़ी हो सकती है और तीसरी चीज़ आपकी हड्डी हो सकती है.
एक रिसर्च के अनुसार (कुछ अरसा पहले स्टार न्यूज़ पर दिखाई गई) सड़कों पर दोनों प्रकार के ब्रेकरों से रोज़-ब-रोज़ शनै-शनै हड्डियों का जो क्षरण होता है वह बड़ी दिक्कत पैदा कर सकता है.
पहली प्रकार के ब्रेकर सड़क पर ऐसे खड़े होते हैं कि आप सोचने लगते हैं कि मैं इस सड़क से क्यों आया. लेकिन अलग-अलग रास्तों से गुज़रते हुए जैसे-जैसे आपकी जानकारी बढ़ती है आपको पता चलता है कि सभी सड़कों का यही हाल है.
अपने देश में हासिल विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रताओं में एक प्रमुख है, सड़कों के इस्तेमाल की स्वतंत्रता.
कई प्रकार के समारोह के लिए आप बेझिझक तंबू तान कर इनका इस्तेमाल कर सकते हैं, कई प्रकार के व्यवसाय भी इन पर चला सकते हैं और स्थानीय पुलिस/अधिकारी/नेता के आशीर्वाद से बाकायदा पर्ची काट कर गाड़ियां पार्क करवा सकते हैं.
मौलिक सोच के स्वामी भारतीयों ने देश के हित में पिछले कुछ समय से सड़कों पर मनचाहे स्पीड ब्रेकर बनाना भी शुरू कर दिया है.
ईंट,सीमेंट से तो ब्रेकर बनते ही थे अब तो रेडीमेड लोहे के ब्रेकर भी आने लगे हैं. लाओ, पेच ठोको और हो गया. कॉलोनी के आगे, स्कूल के आगे, मंदिर के आगे- जहां चाहे ठोको और निश्चिंत हो जाओ.
आप पूछ सकते हैं कि क्या यह कानून सम्मत है. तो भैया कॉलोनी, स्कूल और मंदिर ही कानून सम्मत होंगे इसकी भी कोई गारंटी नहीं है.
बहरहाल दूसरे तरह के ब्रेकर (गड्ढे) तो स्वतः ही बनते हैं. कई बार यह इतनी गहरे और विशाल होते हैं कि सड़क पर न हों तो इन्हें खड्ड कहा जाए.
आप सोचते हैं कि गाड़ी के बजाय मैंने ट्रक ही लिया होता तो बेहतर रहता.
लेकिन मैं उन गड्ढों को सलाम करता हूं ट्रक भी जिनसे घबरा के चलते हैं.
इन गड्ढों की वजह वजह से सड़क दुर्घटना के किस्से अनगिनत होंगे लेकिन आप इस पहलू को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि यह कहीं न कहीं इन्हें कम भी कर रहे हैं.
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